26.7.07

हर लम्हा एक विस्मय - पढ़ें हिन्दी में, अंग्रेज़ी में और सुनें भी

जब मैंने हर लम्हा एक विस्मय लिखा था तो सोचा नहीं था उसे विकास कुमार की इतनी अच्छी आवाज़ मिलेगी । सुनने का तो आनंद ही कुछ और आया । धन्यवाद विकास :)


जो अभी तक मेरी हिन्दी कविताएँ पढ़ते रहे हैं उन्हें यह बताना चाहूँगी कि हर लम्हा एक विस्मय दरसल मेरी अंग्रेज़ी कविता Each Moment is a Wonder का हिन्दी रूपांतर है । मराठी लेखक-कवि सलील वाघ जी ने जब इसे पढा़ तो मुझसे कहा कि इसी कविता को हिन्दी में लिखूँ - पर वह अनुवाद न हो । उनका अभिप्राय था कि अंग्रेज़ी कविता के भाव हिन्दी में हों । मैंने कहा यह तो बहुत मुश्किल काम है (और वास्तव में इसे हिन्दी में लिखते समय ऐसा लगा भी) । पहले तो मुझे लगा कि यह नहीं हो पाएगा । पर उनकी बात पर अमल करके देखना भी चाहती थी कि क्या बन कर आता है और वह ऐसा क्यों कह रहे हैं क्योनंकि पहले मैंने ऐसा कभी किया भी नहीं था ।


आखिरकार हिन्दी में लिख तो दिया पर कई जगह समझौता करना पड़ा और फिर भी मुझे लगा कि अंग्रेजी कविता वाली पूरी बात इसमें नहीं आ पाई ... खासकर आखिरी पंक्तियाँ ।


अंग्रेजी में लिखा :
They all kept repeating to me
Live, love, evolve, enjoy and cherish
Each little moment that you have,
Every flake of time that floats past,
As each moment is a wonder in itself.


इसमें "Live, love, evolve, enjoy and cherish" को हिन्दी में लिखते समय एक पंक्ति में लाना नहीं संभव हुआ । आखिर जो लिखा वह था :


यह सभी याद दिलाते रहे
दोहराते रहे मुझसे -
जीयो, प्रेम करो,
हो उत्क्रांत और
करो आत्म-उत्थान,
हो आनंदितऔर संजो कर रखो
हर नन्हें पल को
वक्त के हर कतरे को
क्योंकि हर लम्हा
अपने आप में
है एक चमत्कार,
एक विस्मय ।


इसके अलावा कई जगह मुश्किलें आई । कई अंग्रेज़ी शब्दों के संतोषजनक अर्थ नहीं मिले हिन्दी में ... और कई बार तो अर्थ में पूरा का पूरा भाव या अभिप्राय ही बदल जाता । जैसे 'evolve' का निकटतम अर्थ जो शब्दकोश पर मिला वह था 'विकास करना' पर 'evolve' का भाव और गहरा अर्थ कुछ और ही है हो मैं हिन्दी में नहीं ला पाई । 'Raven hair' में 'raven' मतलब एक प्रकार के कौवा या काग से है । पर हिन्दी में वह 'स्याह केश' में परिवर्तित हो गया । अगर शब्दार्थ या अनुवाद पर जोर दिया जाता तो यह नहीं लिखा जा सकता था ।


यह कविता लिखने से पहले सलील वाघ जी से चर्चा भाषा और संस्कृति को लेकर हो रही थी । उनका कहना था कि हर भाषा एक संस्कृति होती है । शब्द सिर्फ़ बोलचाल या सम्पर्क का माध्यम ही नहीं होते, उनमें हर संस्कृति की झलक भी होती है । दोनों कविताएं मेरी खुद की लिखी हैं, पर दोनों को पढ़ते समय भाव या कल्पना काफी हद तक बदल जाती है ।


यह तो रहा कविता लिखने के पीछे की बात । अब आप भी पढ़ें और सुनें और बताऎं आपका क्या कहना है :
अंग्रेज़ी में पढ़ें : Each Moment is a Wonder
हिन्दी में पढ़ें : हर लम्हा एक विस्मय
हिन्दी में सुनें : विकास कुमार की आवाज में

19.7.07

पराग और पंखुड़ियाँ

पराग और पंखुड़ियाँ मैंने जून माह की यूनिकवि प्रतियोगिता के लिए भेजी थी । कविता ८वें पायदान पर रही और पुरस्कार- कवि कुलवंत सिंह की ओर से उनकी काव्य-पुस्तक 'निकुंज' की स्वहस्ताक्षरित प्रति जिसका मुझे इंतजार है ।

इस कविता में 'अरहुल' शब्द का प्रयोग गुड़हल के फूल के लिए किया गया है । जहाँ मैं पली-बढी़ वहाँ 'अरहुल' का प्रयोग आम भाषा में किया जाता था.. इसीलिए मैंने 'अरहुल' का ही प्रयोग किया है ।
पराग और पंखुड़ियाँ मेरे +२ के दिनों की लिखी हुई है ।


सुनील डोगरा ज़ालिम ने टिप्पणी दी है "वैसे अरहुल के फूल कॊ देखने की इच्छा हॊ रही है काश आपने चित्र दिया हॊता।"

हिन्द-युग्म पर तो नहीं लगा पाई, पर यहाँ लगा रही हूँ । यह श्याम-श्वेत 'लीनो-कट ग्रफिक प्रिंट' मेरे स्नातक के समय की मेरी कृति है जिसमें अरहुल (गुड़हल) को दिखाया गया है ।

कृति: सीमा कुमार, १९९७

12.7.07

कविता क्या है.. ?

मेरी अभिव्यक्ति की असमर्थता कल हिन्द-युग्म पर प्रकाशित हुई । पढ़ कर वहाँ अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें ।

बचपन से कुछ न कुछ लिखती रही हूँ । जब लिखा तब अपने मन से लिखा .. किसी उद्देश्य को लेकर शायद ही कभी लिखा । कहीं प्रकाशित करने के उद्देश्य से भी नहीं लिखा । हाँ, धीरे-धीरे, समय के साथ औरों के साथ बाँटने लगी ।

एक आम इंसान की तरह, ज़िदगी की कश्मकश और अलग-अलग रास्तों तथा अनुभवों से गुजरते हुए, मन में जब तरह-तरह के भाव उठते हैं, संवेदनाएँ होती हैं, सवाल उठते हैं, और यह सभी सशक्त होते हैं और उन्हें अभिव्यक्त करने की इच्छा होती है, तो उन्हें शब्दों में ढ़ालने की कोशिश करती हूँ । कागज - कलम और शब्द, यह अभिव्यक्ति का माध्यम बन जाते हैं ।

परंतु लिखने के बाद कई बार कई सवाल भी उठ खड़े होते हैं ... एक बहुत आम सा सवाल है "कविता क्या है ?"

हर चीज की सुंदर अभिव्यक्ति, छंदो से सुसज्जित रचना ही क्या कविता है ? क्या लिखते समय भावों के प्रवाह से अधिक आवश्यक रचना की रूप-रेखा, उसकी साज-सज्जा, या लेखन के नियम-कानून पर ध्यान देना है ? कविता की सार्थकता किस बात में होती है ? लिखने का क्या उद्देश्य होना चाहिए, या क्या आवश्यक है कि किसी उद्देश्य ही को लेकर लिखा जाए ?

कविता का तो अधिक नहीं पता, परंतु चित्रकला में अभिव्यक्ति अलग-अलग तरीकों से करता है कलाकार । कभी कोई चित्र अमूर्त (abstract) होता है, कोई यथार्थवादी, तो कोई प्रतीकात्मक या सांकेतिक । सबका अपना अलग महत्व है मेरी समझ से और सबका अपना अलग सौंदर्य भी है ।

कविता क्या है यह सोचते हुए मैंने कई बार कुछ न कुछ लिख भी डाला है, जैसे एक है "शब्द-जाल" और कुछ और भी को यहाँ प्रकाशित नहीं हैं। औरों के विचार भी पढे हैं । कुछ यहाँ लिख रही हूँ जो मुझे अच्छे या विचारनीय लगे ।

अनूप भार्गव जी के चिठ्ठे पर पढा़ और बात अच्छी लगी :

"न तो साहित्य का बड़ा ज्ञाता हूँ, न ही कविता की भाषा को जानता हूँ, लेकिन फ़िर भी मैं कवि हूँ, क्यों कि ज़िन्दगी के चन्द भोगे हुए तथ्यों और सुखद अनुभूतियों को, बिना तोड़े मरोड़े, ज्यों कि त्यों कह देना भर जानता हूं । "


सालों पहले किसी अखबार का एक पन्ना अब भी मेरे पास है जिसमें वीरेन्द्र सिंह जी कुछ पंक्तियाँ लिखते है 'नये तराने' में :

"कविता नारा-कथा-गद्द-इतिहास नहीं है

कविता कोरा व्यंग्य हास परिहास नहीं है

यह है तरल प्रवाह सत्य के भाव पक्ष का

वशीभूत होता जिससे जड़ भी समक्ष का

कविता जो मन के ऋतु का परिवर्तन कर दे

कभी स्नेह तो कभी आग अंतर में भर दे ! "


आप में से कोई बता सकें तो बताएँ, कोई जवाब दे सकें मेरे सावालों का तो दें । जैसा कि आपको अब तक महसूस हो ही गया होगा कि मैं निरंतर बहुत सारे सवालों के जवाब ढ़ूँढ़ती रहती हूँ और आपलोग कुछ मदद कर सकें तो आभारी रहूँगी ।

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