18.4.09

अभिव्यक्ति की असमर्थता

अंत और अनंत क्या,
उर की अभिलाषा क्या ?
मन क्यों स्थिर नहीं,
जीवन की परिभाषा क्या ?


प्रश्न भी अनंत हैं
अनकहे हैं
जवाब कभी हैं ही नहीं,
कहीं अधूरे हैं ।
मौन लगता अचल है ।
बस अपनी
अंतर्रात्मा का
साथ ही चिरंतन है,
बाकी या तो इच्छा है
लालसा है
या न मिटने वाली चाह है ।

मोह क्या है,
माया है क्या ?
सत्य क्या है,
साया है क्या ?
फिर अनगिनत सवाल,
या तो असंख्य जवाब,
या फिर कोई भी नहीं
कहीं सिर्फ़ गति है
कोई ठहराव नहीं
और कहीं बस
ठहराव ही है
कोई गति, कोई हलचल नहीं ।

यह शब्द हैं
या भाव ?
या उलझन ?
अभिव्यक्ति की असमर्थता ?


- सीमा कुमार
३१ मार्च २००७

हिन्द युग्म पर यहाँ पूर्व-प्रकाशित

2 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

waah शब्दों की kaareegaree से अपने क्या खूब rach दी है एक pyaree सी कविता .....

lok ranjan ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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